સ્વર : પ્રિતી ગજ્જર
સંગીત : ડો. ભરત પટેલ
अँखियाँ हरि दर्शन की प्यासी
(देख्यो चाहत कमल नैन को)-२
निस दिन रहत उदासी
अँखियाँ निस दिन रहत उदासी
अँखियाँ हरि दर्शन की प्यासी
आए ऊधो घिरे गए आंगन
डारि गए गरे फाँसी
(अँखियाँ हरि दर्शन की प्यासी)-२
(केसर तिलक मोतियन की माला)-२
वृंदावन को वासी
(अँखियाँ हरि दर्शन की प्यासी)-२
काहू के मन की कोउ न जाने
लोगन के मन हासी
(अँखियाँ हरि दर्शन की प्यासी)-२
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरश बिन
लेहों करवत कासी
(अँखियाँ हरि दर्शन की प्यासी)-२
हरि दर्शन की प्यासी
આ ભજન મોહમ્મદ રફી સાહેબે પણ ગાયું છે
સાંભળવા મળી શકશે?
https://www.youtube.com/watch?v=zA6PZR9jqVk
કાચિ રે માતિ નુ કોદિયુ આ કાયા ઝબકિ ઝબકિ ને બુઝાવા નુ રે
આ ભજન કોને ગાએ લુ જનાવ શો
બહુ સરસ ભજન સમ્ભળાવવા બદલ આભાર
મ ન હ ર ઉ ધા સ નિ ગ ઝ લ જે સુરત મા થ યો હ તો તે મુકસો
Can Not be Played,
Thans,
काहू के मन की कोउ न जाने
लोगन के मन हासी
अँखियाँ हरि दर्शन की प्यासी
સુંદર ભજન સાંભળવાનિ મજા આવિ ગઈ.
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सुर की गति मैं
सुर की गति मैं क्या जानूँ .
एक भजन करना जानूँ ..
अर्थ भजन का भी अति गहरा
उस को भी मैं क्या जानूँ ..
प्रभु प्रभु प्रभु कहना जानूँ
नैना जल भरना जानूँ ..