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बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है – मिर्झा गालिब

સ્વર / સંગીત – જગજીત સીંગ

बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे
[ baazeechaa = play/sport, atfaal = children ]

इक खेल है औरन्ग-ए-सुलेमाँ मेरे नज़दीक
इक बात है एजाज़-ए-मसीहा मेरे आगे
[ auraNg = throne, ‘eijaz = miracle ]

जुज़ नाम नहीं सूरत-ए-आलम मुझे मन्ज़ूर
जुज़ वहम नहीं हस्ती-ए-अशिया मेरे आगे
[ juz = other than, aalam = world, hastee = existence, ashiya = things/items ]

होता है निहाँ गर्द में सेहरा मेरे होते
घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया मेरे आगे
[ nihaaN = hidden, gard = dust, sehara = desert, jabeeN = forehead ]

मत पूछ के क्या हाल है मेरा तेरे पीछे
तू देख के क्या रंग है तेरा मेरे आगे

सच कहते हो ख़ुदबीन-ओ-ख़ुदआरा हूँ न क्योँ हूँ
बैठा है बुत-ए-आईना सीमा मेरे आगे
[ KHudbeen = proud/arrogant, KHud_aaraa = self adorer, but = beloved, aainaa_seemaa = like the face of a mirror ]

फिर देखिये अन्दाज़-ए-गुलअफ़्शानी-ए-गुफ़्तार
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मेरे आगे
[ gul_afshaanee = to scatter flowers, guftaar = speech/discourse, sahaba = wine, esp. red wine ]

नफ़रत के गुमाँ गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा
क्योँ कर कहूँ लो नाम ना उसका मेरे आगे
[ gumaaN = doubt, rashk = envy ]

इमाँ मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र
काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे
[ kufr = impiety, kaleesa = church/cathedral ]

आशिक़ हूँ पे माशूक़फ़रेबी है मेर काम
मजनूँ को बुरा कहती है लैला मेरे आगे
[ farebee = a fraud/cheat ]

ख़ुश होते हैं पर वस्ल में यूँ मर नहीं जाते
आई शब-ए-हिजराँ की तमन्ना मेरे आगे
[ hijr = separation ]

है मौजज़न इक क़ुल्ज़ुम-ए-ख़ूँ काश! यही हो
आता है अभी देखिये क्या-क्या मेरे आगे
[ mauj_zan = exciting, qulzum = sea, KHooN = blood ]

गो हाथ में जुंबिश नहीं आँखों में तो दम है
रहने दो अभी साग़रो-मीना मेरे आगे
[ jumbish = movement/vibration, saaGHar-o-meena = goblet ]

हम-पेशा ओ’ हम-मशरब ओ’ हम-राज़ है मेरा
‘ग़ालिब’ को बुरा क्यों कहो, अच्छा मेरे आगे
[ ham_pesha = of the same profession, ham_masharb = of the same habits/a fellow boozer, ham_raaz = confidant ]

– मिर्झा गालिब

H हर एक बात पे कहेते हो तुम, के ‘तु क्या है ?’ – मिर्झा गालिब

है और भी दुनियामैं सुखनवर बहोत अच्छे,
कहते हैं कि गालिबका है अंदाझ-ए-बयां और …

हर एक बात पे कहेते हो तुम, के ‘तु क्या है ?’
तुम्ही कहो के ये अंदाझे गुफ्तगु क्या है ?

न शोले में ये करिश्मा न बर्क में ये यदा
कोइ बताओ की वो शोख-ए-तुंदको क्या है ?

ये रश्क है की वो होता है हम सुखन तुमसे
वगरना खौफ-ए-बद अमोझी-ए-अदू क्या है ?

चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी जेब को अब हाजत-ए-रफू क्या है ?

जला है जिस्म जहां दिलभी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है ?

रगों में दौडते फिरने के हम नहीं कायल
जब आंखही से न टपका तो फिर लहू क्या है ?

वोह चीझ जिसके लिये हमको हो बहुत अझीझ
सिवा बदा-ए-गुल फाम-ए-मुश्कबू क्या है ?

पिउं शराब अगर गमभी देख लूं दो-चार
ये शिशाओ कदहओ कूझाओ सुबू क्या है ?

रही न ताकत-ए-गुफतार और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरझू क्या है ?

हुए है शाह का मुसाहिब, फिरे है इतराता
वरना शहर में ‘गालिब’की आबरु क्या है ?

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ग़ुफ़्तगू = Conversation
अंदाज़-ए-ग़ुफ़्तगू = Style of Conversation
पैराहन = Shirt, Robe, Clothe
हाजत-ए-रफ़ू = Need of mending (हाजत = Need)
गुफ़्तार = Conversation
ताक़त-ए-गुफ़्तार = Strength for Conversation

H हजारो ख्वाईशें ऐसी – मिर्झा गालिब

Artist: Jagjit Singh
Album: Mirza Ghalib

HAZAARON KHWAHISHEIN AISI KI HAR KHWAHISH PE DUM NIKLE,
BAHUT NIKLE MERE ARMAAN LEKIN PHIR BHI KAM NIKLE ||1||

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