શબ્દો : સંત કબીર
સ્વર : આબિદા પરવીન
આલ્બમ : “કબીર by આબિદા”
રજૂઆત : ગુલઝાર
Commentary by Gulzar…
नशे इकहरे ही अच्छे होते हैं,
सब कह्ते हैं दोहरे नशे अच्छे नहीं
एक नशे पर दूसरा नशा न चढाओ
पर क्या है कि, एक कबीर उस पर आबिदा परवीन
सुर सरूर हो जाते हैं,
और सरूर देह कि मट्टी पार करके रूह मे समा जाता है
सोइ मेरा एक तो, और न दूजा कोये ।
जो साहिब दूजा कहे, दूजा कुल का होये ॥
कबीर तो दो कहने पे नाराज़ हो गये,
वो दूजा कुल का होये !
Abida starts singing…
साहिब मेरा एक है, दूजा कहा न जाय ।
दूजा साहिब जो कहूं, साहिब खडा रसाय ॥
माली आवत देख के, कलियां करें पुकार ।
फूल फूल चुन लिये, काल हमारी बार ॥
चाह गयी चिन्ता मिटी, मनवा बेपरवाह ।
जिनको कछु न चहिये, वो ही शाहनशाह ॥
एक प्रीत सूं जो मिले, तको मिलिये धाय ।
अन्तर राखे जो मिले, तासे मिले बलाय ॥
सब धरती कागद करूं, लेखन सब बनराय ।
सात समुंद्र कि मस करूं, गुरु गुन लिखा न जाय ॥
अब गुरु दिल मे देखया, गावण को कछु नाहि ।
कबीरा जब हम गांव के, तब जाना गुरु नाहि ॥
मैं लागा उस एक से, एक भया सब माहि ।
सब मेरा मैं सबन का, तेहा दूसरा नाहि ॥
जा मरने से जग डरे, मेरे मन आनन्द ।
तब मरहू कब पाहूं, पूरण परमानन्द ॥
सब बन तो चन्दन नहीं, सूर्य है का दल नाहि ।
सब समुंद्र मोती नहीं, यूं सौ भूं जग माहि ॥
जब हम जग में पग धरयो, सब हसें हम रोये ।
कबीरा अब ऐसी कर चलो, पाछे हंसीं न होये ॥
औ-गुण किये तो बहु किये, करत न मानी हार ।
भांवें बन्दा बख्शे, भांवें गर्दन माहि ॥
साधु भूख भांव का, धन का भूखा नाहि ।
धन का भूखा जो फिरे, सो तो साधू नाहि ॥
कबीरा ते नर अन्ध हैं, गुरु को कहते और ।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ॥
करता था तो क्यों रहा, अब काहे पछताय ।
बोवे पेड बबूल का, आम कहां से खाय ॥
साहिब सूं सब होत है, बन्दे ते कछु नाहि ।
राइ से परबत करे, परबत राइ मांहि ॥
ज्यूं तिल मांही तेल है, ज्यूं चकमक में आग ।
तेरा सांई तुझमें बसे, जाग सके तो जाग ॥
– संत कबीर
(શબ્દો માટે આભાર : Dazed and Confused)
Dear friends,
હમ પંછી પરદેશી મુસાફિર
Aa bhajan koi pase hoi to post karva krupa karso.
વાહ.! !!!ઘણા સમય થી હું શોધી રહ્યો હતો.
આભાર
શુ કહિયે – ગુલ્ઝાર ન લબ્ઝ અને આબિદ નો શ્વર્ સમ્ભ્લિને ગદ ગદ થૈ જવાય ચ્હે. અતિ સુન્દર્ રજુ કર્તા રહો આવા
ભજનો અન્દ કલાકરો. મયુર મારુ
bhaktini parakasta… Guruna guno adabhut rite varnavya chhe.. Jayshreeben tamaro khub dhanyavad…. Khub anand thayo sambhaline….
ENJOYED A LOT…..
साहिब मेरा एक है, दूजा कहा न जाय ।
પતિવ્રતા ની ભક્તિ….ભગવાન સ્વામીનારાયણ …નૉ ઉપદેશ્
चाह गयी चिन्ता मिटी, मनवा बेपरवाह ।
जिनको कछु न चहिये, वो ही शाहनशाह
in very simple way tells the truth of life.no words to say anything more
Saint kabir ne shat shat naman.
ખૂ બ જ સરસ