H ऐ जज़्ब-ए-दिल गर मैं चाहुं – बहज़ाद लखनवी

ઘણા વખત પહેલા ટહુકોના એક મિત્ર એ આ ગઝલ મોકલી હતી… અને સાંભળી ત્યારથી ઘણી જ ગમી ગઇ… આ ઉર્દુ ગઝલના ઘણા શબ્દો નથી સમજાતા, છતાંય વારંવાર સાંભળ્યાજ કરવાની ઇચ્છા રોકી શકાતી નથી…

એક જ ગાયકના સ્વરમાં પણ બે જુદા જુદા રેકોર્ડિંગ – આશા છે કે આપને જરૂર ગમશે.

સ્વર : નય્યારા નૂર

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Live Recording

Studio Recording

ऐ जज़्ब-ए-दिल गर मैं चाहुं हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए
मंज़िल के लिए दो गाम चलूं और सामने मंज़िल आ जाए

ऐ दिल की ख़लिश चल यूं ही सही चलता तो हूं उनकी महफ़िल में
उस वक़्त मुझको चौंका देना जब रंग पे मह्फ़िल आ जाए

ऐ रहबर-ए-कामिल चलने को तैयार तो हुं पर याद रहे
उस वक़्त मुझे भटका देना जब सामने मंज़िल आ जाए

हां याद मुझे तुम कर लेना, आवाज़ मुझे तुम दे लेना
इस राहे मोहब्बत में कोई दरपेश जो मुश्किल आ जाए

अब क्यूं ढूंढ़ूं वह चश्म-ए-करम, होने दो सितम बालाए सितम
मैं चाह्ता हूं ऐ जज़्ब-ए-ग़म, मुश्किल पस-ए-मुश्किल आ जाए

इस जज़्ब-ए-ग़म के बारे में एक मशविरा तुमसे लेना है
उस वक़्त मुझे कया लाज़िम है जब तुम पे मेरा दिल आ जाए

15 replies on “H ऐ जज़्ब-ए-दिल गर मैं चाहुं – बहज़ाद लखनवी”

  1. આભાર .. અવી મજા નિ પેશ્કશ માટે.

    મુખડો જેનો છે ” પ્રેર્નાત્મક” અને જેના અન્ત મા છે “સમર્પણ્”.

  2. વન્ ઓફ થે બેસ્ત ગઝલ્સ ,,, વેર્ય રરેલ્ય ક્નોવ્ન ગઝલ્,,,,,વાહ્, અ સુપેર્બ ગઝલ્. ઠન્ક્સ અ ળૉટ્, તમરો ઘનો આભાર્

  3. ગઝલ અને ગાયકી બંને સુંદર…

    इस जज़्ब-ए-ग़म के बारे में एक मशविरा तुमसे लेना है
    उस वक़्त मुझे कया लाज़िम है जब तुम पे मेरा दिल आ जाए

  4. મજા આવી ગઈ! “એક વર્ષ પહેલા” પણ કમાલ ની ચીજ છે!!આમ તો વિવેક ની ઑફર પછી કંઇ પણ લખવું એ ગુસ્તાખી જ ગણાય..છતાયે, રહેવાયુ નહી એટલે…

    ऐ जज़्ब-ए-दिल (JAZBA – willingness) गर मैं चाहुं हर चीज़ मुक़ाबिल (MUQABIL – opposite) आ जाए
    मंज़िल के लिए दो गाम चलूं और सामने मंज़िल आ जाए
    ऐ दिल की ख़लिश (KHALISH – emptiness) चल यूं ही सही चलता तो हूं उनकी महफ़िल में
    उस वक़्त मुझको चौंका देना जब रंग पे मह्फ़िल आ जाए
    ऐ रहबर-ए-कामिल (RAHBAR – Guide) चलने को तैयार तो हुं पर याद रहे
    उस वक़्त मुझे भटका देना जब सामने मंज़िल आ जाए
    हां याद मुझे तुम कर लेना, आवाज़ मुझे तुम दे लेना
    इस राहे मोहब्बत में कोई दरपेश (DARPESH – in front off) जो मुश्किल आ जाए
    अब क्यूं ढूंढ़ूं वह चश्म-ए-करम (CHASME KARAM – caring eyes), होने दो सितम बालाए सितम (SITAM – zulm, like we hear zulmi balam)
    मैं चाह्ता हूं ऐ जज़्ब-ए-ग़म, मुश्किल पस-ए-मुश्किल आ जाए
    इस जज़्ब-ए-ग़म के बारे में एक मशविरा तुमसे लेना है
    उस वक़्त मुझे कया लाज़िम (LAZIM – zaroori) है जब तुम पे मेरा दिल आ जाए

  5. I also request you to post other gazals sung by Nayyaar Noor.Like;”hame maathe pe bosa do ke humko titliyo ke des jaana hai..”, “Gatta ghan ghor bhor,mor machaye shor,moree sajan aajaa aa, aaja…” and others! Thanks!

  6. મ્ને પ્રોગ્રામ બ હુ ગ્મ્યો. અભાર્.

  7. સુંદર ગઝલ… ગાયકી પણ ગમી… જે શબ્દના અર્થ ન ખબર પડ્યા હોય એ અલગ તારવી આપશો તો અર્થ શોધી આપવાનું ગમશે…

  8. इस जज़्ब-ए-ग़म के बारे में एक मशविरा तुमसे लेना है
    उस वक़्त मुझे कया लाज़िम है जब तुम पे मेरा दिल आ जाएા શેર બહુ ગમ્યો

  9. નય્યારા નૂરના સ્વરમાં
    શુભાન અલ્લાહ
    अब क्यूं ढूंढ़ूं वह चश्म-ए-करम, होने दो सितम बालाए सितम
    मैं चाह्ता हूं ऐ जज़्ब-ए-ग़म, मुश्किल पस-ए-मुश्किल आ जाए

    इस जज़्ब-ए-ग़म के बारे में एक मशविरा तुमसे लेना है
    उस वक़्त मुझे कया लाज़िम है जब तुम पे मेरा दिल आ जाए
    વાહ્
    સામાન્યરીતે લાઈવ કરતાં સ્ટુડિઓનું રેકર્ડીંગ સારુ હોય છે પણ અહી લાઈવ—જીવંત જીવંત લાગે છે
    સલામ बहज़ाद लखनवी, નય્યારા નૂર અને તમને

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