ઘણા વખત પહેલા ટહુકોના એક મિત્ર એ આ ગઝલ મોકલી હતી… અને સાંભળી ત્યારથી ઘણી જ ગમી ગઇ… આ ઉર્દુ ગઝલના ઘણા શબ્દો નથી સમજાતા, છતાંય વારંવાર સાંભળ્યાજ કરવાની ઇચ્છા રોકી શકાતી નથી…
એક જ ગાયકના સ્વરમાં પણ બે જુદા જુદા રેકોર્ડિંગ – આશા છે કે આપને જરૂર ગમશે.
સ્વર : નય્યારા નૂર
Live Recording
Studio Recording
ऐ जज़्ब-ए-दिल गर मैं चाहुं हर चीज़ मुक़ाबिल आ जाए
मंज़िल के लिए दो गाम चलूं और सामने मंज़िल आ जाए
ऐ दिल की ख़लिश चल यूं ही सही चलता तो हूं उनकी महफ़िल में
उस वक़्त मुझको चौंका देना जब रंग पे मह्फ़िल आ जाए
ऐ रहबर-ए-कामिल चलने को तैयार तो हुं पर याद रहे
उस वक़्त मुझे भटका देना जब सामने मंज़िल आ जाए
हां याद मुझे तुम कर लेना, आवाज़ मुझे तुम दे लेना
इस राहे मोहब्बत में कोई दरपेश जो मुश्किल आ जाए
अब क्यूं ढूंढ़ूं वह चश्म-ए-करम, होने दो सितम बालाए सितम
मैं चाह्ता हूं ऐ जज़्ब-ए-ग़म, मुश्किल पस-ए-मुश्किल आ जाए
इस जज़्ब-ए-ग़म के बारे में एक मशविरा तुमसे लेना है
उस वक़्त मुझे कया लाज़िम है जब तुम पे मेरा दिल आ जाए
thanks for sharing a beautiful creation….
આભાર .. અવી મજા નિ પેશ્કશ માટે.
મુખડો જેનો છે ” પ્રેર્નાત્મક” અને જેના અન્ત મા છે “સમર્પણ્”.
Munni Begum aur Parveen Sultana yaad aaye shukra guzar hu!
વન્ ઓફ થે બેસ્ત ગઝલ્સ ,,, વેર્ય રરેલ્ય ક્નોવ્ન ગઝલ્,,,,,વાહ્, અ સુપેર્બ ગઝલ્. ઠન્ક્સ અ ળૉટ્, તમરો ઘનો આભાર્
ગઝલ અને ગાયકી બંને સુંદર…
इस जज़्ब-ए-ग़म के बारे में एक मशविरा तुमसे लेना है
उस वक़्त मुझे कया लाज़िम है जब तुम पे मेरा दिल आ जाए
Fantastic voice & composition…please add more from NN Madam..
મજા આવી ગઈ! “એક વર્ષ પહેલા” પણ કમાલ ની ચીજ છે!!આમ તો વિવેક ની ઑફર પછી કંઇ પણ લખવું એ ગુસ્તાખી જ ગણાય..છતાયે, રહેવાયુ નહી એટલે…
ऐ जज़्ब-ए-दिल (JAZBA – willingness) गर मैं चाहुं हर चीज़ मुक़ाबिल (MUQABIL – opposite) आ जाए
मंज़िल के लिए दो गाम चलूं और सामने मंज़िल आ जाए
ऐ दिल की ख़लिश (KHALISH – emptiness) चल यूं ही सही चलता तो हूं उनकी महफ़िल में
उस वक़्त मुझको चौंका देना जब रंग पे मह्फ़िल आ जाए
ऐ रहबर-ए-कामिल (RAHBAR – Guide) चलने को तैयार तो हुं पर याद रहे
उस वक़्त मुझे भटका देना जब सामने मंज़िल आ जाए
हां याद मुझे तुम कर लेना, आवाज़ मुझे तुम दे लेना
इस राहे मोहब्बत में कोई दरपेश (DARPESH – in front off) जो मुश्किल आ जाए
अब क्यूं ढूंढ़ूं वह चश्म-ए-करम (CHASME KARAM – caring eyes), होने दो सितम बालाए सितम (SITAM – zulm, like we hear zulmi balam)
मैं चाह्ता हूं ऐ जज़्ब-ए-ग़म, मुश्किल पस-ए-मुश्किल आ जाए
इस जज़्ब-ए-ग़म के बारे में एक मशविरा तुमसे लेना है
उस वक़्त मुझे कया लाज़िम (LAZIM – zaroori) है जब तुम पे मेरा दिल आ जाए
I also request you to post other gazals sung by Nayyaar Noor.Like;”hame maathe pe bosa do ke humko titliyo ke des jaana hai..”, “Gatta ghan ghor bhor,mor machaye shor,moree sajan aajaa aa, aaja…” and others! Thanks!
I love this gazal,yet I could not listen to it.Plz do something about it.
સરસ
મ્ને પ્રોગ્રામ બ હુ ગ્મ્યો. અભાર્.
સુંદર ગઝલ… ગાયકી પણ ગમી… જે શબ્દના અર્થ ન ખબર પડ્યા હોય એ અલગ તારવી આપશો તો અર્થ શોધી આપવાનું ગમશે…
તમારુ ગીત બહુજ સુંદર છે.
इस जज़्ब-ए-ग़म के बारे में एक मशविरा तुमसे लेना है
उस वक़्त मुझे कया लाज़िम है जब तुम पे मेरा दिल आ जाएા શેર બહુ ગમ્યો
નય્યારા નૂરના સ્વરમાં
શુભાન અલ્લાહ
अब क्यूं ढूंढ़ूं वह चश्म-ए-करम, होने दो सितम बालाए सितम
मैं चाह्ता हूं ऐ जज़्ब-ए-ग़म, मुश्किल पस-ए-मुश्किल आ जाए
इस जज़्ब-ए-ग़म के बारे में एक मशविरा तुमसे लेना है
उस वक़्त मुझे कया लाज़िम है जब तुम पे मेरा दिल आ जाए
વાહ્
સામાન્યરીતે લાઈવ કરતાં સ્ટુડિઓનું રેકર્ડીંગ સારુ હોય છે પણ અહી લાઈવ—જીવંત જીવંત લાગે છે
સલામ बहज़ाद लखनवी, નય્યારા નૂર અને તમને