स्वर : अनुराधा श्रीराम, सुजाता मोहन
संगीत : ए. आर. रहेमान
इश्वर अल्लाह तेरे जहांमें नफरत क्युं है, जंग है क्युं ?
तेरा दिल तो इतना बडा है, इन्सानका दिल तंग है क्युं ?
कदम कदम पर सरहद कयुं है, सारी झमीं जब तेरी है,
सूरज के फेरे करती है, फिर क्युं इतनी अंधेरी है ?
इस दुनिया के दामन पर इन्सान के लहूका रंग है क्युं ?
इश्वर अल्लाह तेरे जहांमें…..
गूंज रही है कितनी चीखें, प्यारकी बातें कौन सुने,
टूट रहें है, कितने सपने, इनके टुकडे कौन चुने ?
दिलके दरवाझों पर ताले, तालों पर ये झंग है कयुं ?
इश्वर अल्लाह तेरे जहांमें…..